The Kashmir Files Review कश्मीरी पंडितों की आपबीती महसूस है द कश्मीर फाइल्स 2022

The Kashmir Files: फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ का लंबे समय से इंतजार था. अब आखिरकार फिल्म पर्दे पर आ चुकी है. इस फिल्म में हिंदी सिनेमा के मंझे हुए कलाकारों ने काम किया है. कश्मीरी पंडितों के दर्द को दिखाती ये फिल्म कैसी बनी है, जानते हैं. Also Read.. Radhe Shyam Download Movie Review 720p 1080p 480p filmywap

जम्मू-कश्मीर को लेकर कई तरह की कहानियां अभी तक पर्दे पर उतरी हैं. ज्यादातर में कश्मीर में किस तरह आतंकवाद ने अपनी जड़ें जमाईं उसपर फ़ोकस रहा है. लेकिन अब एक फ़िल्म आई है, जिसमें 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के राज्य से बेघर होने की कहानी को दर्शाया गया है. कश्मीरी पंडितों के इस दर्द को अभी तक बड़ी स्क्रीन पर देखने का काफ़ी कम मौक़ा मिला है, लेकिन अब डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री इसी कहानी को ‘द कश्मीर फाइल्स’ में समेट कर लाए हैं. Also Read… kashmir files download filmymeet Review 720p 1080p 480p 

2 घंटे 40 मिनट की द कश्मीर फाइल्स के कुछ हिस्से आपको झकझोर सकते हैं. फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों संग हुई उस घटना को बयां करती है, जिसने उन्हें आतंकियों ने अपने ही घर से भागने पर मजबूर कर दिया था. फ़िल्म देश के टॉप कॉलेज की पॉलिसी, मीडिया और उस वक़्त की सरकार पर कटाक्ष करती है, इस फिल्म के जरिए विवेक 30 साल से दर्द लिए कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने की बात करते हैं.

The Kashmir Files कहानी

द कश्मीर फाइल्स एक टाइम ट्रैवल के तौर पर काम करती है, जिसमें 1990 के वक़्त को मौजूदा पीढ़ी के साथ जोड़ने का काम किया गया है. दिल्ली में पढ़ने वाला छात्र अपने दादा की अस्थियों को विसर्जित करने कश्मीर जाता है. यहां पर ही उसकी मुलाक़ात दादा के दोस्तों से होती है और फिर पुरानी कहानियां निकलकर आती हैं कि किस तरह कश्मीरी पंडितों को उनके घर से खदेड़ा गया था. यहां से ही कहानी को रिवाइंड में मोड़ दिया गया है, जिसमें 1990 के वक़्त में किस तरह चीज़ें फैलीं और कश्मीरी पंडितों को भगाया गया, ये दर्शाया गया है. इसी दलदल में दोस्ती, सरकारी मशीनरी के एक पहलू को दिखाते हुए उसपर तंज कसे गए हैं.

  

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डायरेक्शन
फ़िल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री हैं, जो इससे पहले लालबहादुर शास्त्री की मौत से जुड़ी मिस्ट्री पर एक फ़िल्म द ताशकंद फाइल्स बना चुके हैं. इसके अलावा लेफ़्ट विंग को लेकर बनी उनकी फ़िल्म बुद्धा इन अ ट्रैफ़िक जाम ने भी काफ़ी सुर्ख़ियां बटोरी थीं. द कश्मीर फाइल्स उसी कड़ी का एक हिस्सा नज़र आती है, जिसमें ग्राउंड की कुछ कहानियों को पर्दे पर दिखाया गया है. 

क्योंकि कहानी कश्मीर की है, ऐसे में विज़ुअल का जादू दिखाना आसान रहा इसलिए सिनेमेटोग्राफ़ी यहां पर नंबर मार जाती है. फ़िल्म में कुछ हिस्से ऐसे भी हैं, जिसमें उस नरसंहार के दर्द को बिखेरा गया है. फ़िल्म 170 मिनट की है, ऐसे में लंबी कहानी कुछ पल आपको बोर भी करती है और आख़िरी तक खुद को बांधकर रखना एक मुश्किल काम नज़र आता है. लेकिन कहानी को ख़त्म करने की दिलचस्पी आपको रोक सकती है. 

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