निजी पौधशाला योजना में पौधशाला लगा कर आमदनी बढ़ाये

निजी पौधशाला योजना : धरती पर घट रही हरियाली के कारण पर्यावरण में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।जिसको कम करने के लिए हरियाली के प्रति लोगों को जागरुक करने और बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने “मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना” का आरम्भ किया था

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इस योजना का लाभ ले कर अगर आप अपना पौधशाला लगा कर हरियाली एवं आमदनी बढ़ाना चाहते है बिहार सरकार के “मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना” का लाभ उठा सकते है मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना का लाभ बिहार राज्य के प्रत्येक प्रखंड में किया जायेगा, इसमें राज्य के सभी जिले शामिल हैं।

पौधशाला स्थापना के लिए सहयोग :-

  • पौधशाला स्थापना के लिए तकनीकी जानकारी।
  • पौधशाला स्थापना के लिए पॉलिथीन न्यूनतम दर पर उपलब्ध कराने में आवश्यकतानुसार सहयोग।
  • गोबर, खाद, रसायनिक खाद, पौधशाला उपकरण इत्यादि न्यूनतम दर पर क्रय कराये जाने में आवश्यकतानुसार सहयोग।
  • पौधों के लिए कुल राशि (औसत रु0 11.00 प्रति पौधा) दो किस्तों में (पहला किस्त देय राशि का 40%, तथा दूसरा किस्त 60%) भुगतान किया जायेगा।

पौधे की प्रजाति

सागवान, सेमल, गम्हार, महोगनी, पीपल, कटहल, आँवला, बड़, पाकड़, अमलतास, महुआ, नीम, शीशम, इमली, अर्जुन, बकैन, करंज, खैर इत्यादि।

निजी पौधशाला उदेश्य :-

  1. अधिक से अधिक पाॅप्लर वृक्षारोपण के लिए कम समय में पौधा तैयार करना।
  2. किसानों के खेतों में पाॅप्लर वृक्षारोपण को बढावा देना।
  3. ग्रामीणों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
  4. राज्य के किसानों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण।
  5. बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 15% वृक्षावरण के अंतर्गत लाने में मदद करना।

निजी पौधशाला योजना के लिए जरुरी कागजात

  1. भू-स्वामित्व प्रमाण-पत्र।
  2. अद्यतन लगान रसीद।
  3. एकरारनामा की रसीद (यदि जमीन लीज पर ली गयी हो)।
  4. बैंक पासबुक की छायाप्रति, जिसमें न्यूनतम रू0 20,000/- होने चाहिए।
  5. नोट : जीविका समूह के मामले में उपरोक्त शर्तों का अनुपालन आवश्यक नहीं है, बशर्ते उनका आवेदन सी.ई.ओ., जीविका के द्वारा अग्रसारित हो।

पौधशाला हेतु आवेदन और चयन प्रकिर्या :-

इच्छुक किसान को आवेदन फॉर्म भर कर जरुरी कागजात के साथ जिले के स्थानीय वन क्षेत्र कार्यालय अथवा वन प्रमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में जमा करने होगा या hariyalimission@gmail.com पर भी ईमेल कर सकते है।

जीविका समूह के सदस्य सी.ई.ओ., बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसाइटी, बिहार को आवेदन समर्पित करें, जो प्राप्त आवेदन मुख्य वन संरक्षक-सह-निदेशक, हरियाली मिशन, बिहार को समेकित रूप से अग्रसारित करेंगे।

  • लाभार्थी कृषकों का चयन चयन समिति के सदस्यों द्वारा किया जायेगा।
  • अगर आवंटित लक्ष्य से अधिक व्यक्तियों का आवेदन पौधशाला स्थापना के लिए प्राप्त होता है तो पहले आओ , पहले पाओ के आधार पर चयन किया जायेगा।
  • जमीन समतल,
  • ऊँची जल-जमाव मुक्त होनी चाहिए।
  • जमीन पर 100 मीटर के दायरे में सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए।
  • पूर्व के वर्षों में विभाग अथवा अन्य माध्यम से पौधशाला कार्य का अनुभव।
  • जीविका समूह तथा पौधशाला संचालन में अनुभव रखने वाले प्रगतिशील कृषकों को प्राथमिकता दी जायेगी।

बिहार सरकार द्वारा प्रशिक्षण:-

राज्य स्तर पर हरियाली मिशन द्वारा एक दिवसीय ओरियेन्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये
जायेंगे, जिसमें मुख्य वन संरक्षक पदाधिकारी, वन संरक्षक पदाधिकारी तथा वन प्रमंडल पदाधिकारी
शामिल होंगे। इसमें पाॅप्लर पौधषाला से संबंधित तकनीकी एवं प्रशासनिक जानकारी उपलब्ध करायी
जायेगी।

वन प्रमंडल स्तर पर मास्टर ट्रेनर के द्वारा हरियाली मिशन मुख्यालय में पाॅप्लर पौधषाला से संबंधित
तकनीकी एवं प्रशासनिक जानकारी दी जायेगी।
जिला स्तर पर प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर तथा वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा किसानों को एक दिवसीय
प्रशिक्षण पाॅप्लर पौधषाला रोपण, रख-रखाव, उपचार, पौधषाला के संपोषण संबंधित जानकारी दी
जायेगी।
वनपाल एवं वनरक्षी को विस्तृत रूप से प्रशिक्षण दिया जायेगा। जिसमें पाॅप्लर पौधषाला रोपण,
रख-रखाव, तैयारी एवं उपचार करना सम्मिलित होगा।
अनुश्रवण, मूल्यांकन एवं रेपोर्टिंग के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा।
पाॅप्लर कटिंग बनाने से संबंधित प्रशिक्षण मजदूरों को भी दिया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री निजी पौधाशाला के तहत चयनित पौधशाला संचालकों के साथ अनुबंध:-

  • लाभुक कृषक द्वारा वन प्रमंडल पदाधिकारी/प्राधिकृत अन्य पदाधिकारी के लिखित आदेश के बिना किसी व्यक्ति के साथ पौधशाला में उगाये गये पौधों की बिक्री/वितरण नहीं किया जायेगा।
  • लाभुक किसान को पौधों के संपूर्ण सुरक्षा का जिम्मा होगा। सिंचाई, साफ-सफाई, खर-पतवार हटाने, शाखाओ की छँटाई एवं एकीकरण की व्यवस्था प्रथम पक्ष द्वारा निर्धारित समय-सारणी के साथ सुनिश्चित करनी होगी ऐसा नहीं करने पर पौधें नहीं लिये जायेंगे तथा भुगतान रोक दिया जायेगा। प्रथम पक्ष चोरी, बाढ़, सूखा, महामारी एवं अन्य किसी प्रकार से क्षति की भरपाई हेतु देनदार नहीं होगा।
  • पौधशालापति द्वारा इस अनुबंध के किसी भी शत्र्त का उल्लंघन किये जाने, किसी तरह की मिथ्या किये
  • जाने अथवा पौधशाला स्थापना एवं संचालन में लापरवाही बरतने की स्थिति में अन्य विविध उपायों के
  • रहते हुए भी वन प्रमंडल पदाधिकारी, मिशन के पदाधिकारी को यह अधिकार होगा एवं लाभुक कृषक
  • पर यह बाध्यकारी होगा कि भविष्य में इस योजना के अंतर्गत किसी प्रकार की सहायता प्राप्त करने के
  • वे पात्र नहीं होंगे, तथा उनको भुगतान की गयी राशि की वसूली उनसे की जा सकेगी।
  • पौधषाला संचालकों के पास पौधषाला स्थापना के लिए जरूरी औजार उपलबध होने चाहिए।

ज्यादा जानकारी के लिए अधिकारीक वेबसाइट http://forest.bih.nic.in/ पर जा कर ले सकते है

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